July 07, 2021

न जाने क्यों!

कविता : 07-07-2021

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घूम-फिर कर मैं, यहीं फिर लौट आता हूँ, 

किसलिए निकला था, यह भी भूल जाता हूँ!  

पर कभी ऐसा भी हो, कोई बुला ले यदि मुझे,

तो भटक जाता हूँ, यह भी भूल जाता हूँ!

नित भटकता रहता हूँ, पर याद आता ही नहीं,

किसकी तलाश है मुझे, यह भी भूल जाता हूँ!

यह भी हैरानी है मुझे, ऐसा क्यों है मेरे साथ,

कौन मेरा, किसका मैं, यह भी भूल जाता हूँ!

कोई लुभा लेता मुझे, कोई भुला देता मुझे,

अपना-पराया कौन है, यह भी भूल जाता हूँ!

कोई तो हँसता है मुझ पर, कोई है दग़ा देता,

कोई समझता है पागल, यह भी भूल जाता हूँ!

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