भारतीयता
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जैसे अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है, वैसे ही महाभारत भी अभी चल ही रहा है। महाभारत 18 दिनों तक चला था, कोरोना 18 माह से अधिक समय तक चल चुका है।
यदि इस तुलना में कोई संकेत है, तो यही कि जैसे महाभारत के समय में कुरुवंश या तत्कालीन सभ्यता अपने शिखर तक पहुँच चुकी थी, वैसे ही विगत बीस सदियों में हमारी सभ्यता अपने भौतिक विकास के शिखर तक पहुँच चुकी है।
गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को 18 से अधिक (22) बार 'भारत' कहा है :
अध्याय 1, श्लोक 24,
अध्याय 2, श्लोक 10, 14, 18, 28, 30,
अध्याय 3, श्लोक 25,
अध्याय 4, श्लोक 7, 42,
अध्याय 7, श्लोक 27,
अध्याय 11, श्लोक 6,
अध्याय 13, श्लोक 2, 33,
अध्याय 14, श्लोक 3, 8, 9, 10,
अध्याय 15, श्लोक 19, 20,
अध्याय 16, श्लोक 3,
अध्याय 17, श्लोक 3,
अध्याय 18, श्लोक 62,
इससे यदि संकेत ग्रहण करें तो यह कि अर्जुन अर्थात् भारत को अभी वर्ष 22 तक युद्ध करना है।
वैसे तो अनेक देश अपनी संस्कृति को हिन्दुत्व से जोड़कर देखते हैं, किन्तु नेपाल एक राष्ट्र था जो हिन्दू राष्ट्र था। वह आज हिन्दू नहीं रह गया है।
वैसे हिन्दू एक शब्द ही तो है, किन्तु नेपाल के लिए यह उसकी राष्ट्रीय पहचान भी थी। 1947 में अनेक हिन्दू रियासतों (स्टेटस) का भारत में विलय हुआ। (मेरा अनुमान है कि) नेपाल पहले भी अंगरेजी शासन के अधीन नहीं था, इसलिए भी शायद हमारे देश के निर्माताओं ने उससे भारत में विलय के लिए अनुरोध नहीं किया होगा, कि वह एक 'हिन्दू' राष्ट्र था।
अब स्थितियाँ बदल गई हैं। न तो भारत और न ही नेपाल अब हिन्दू राष्ट्र रह गए हैं। किन्तु यदि भारत को संवैधानिक आधार पर हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाता है और नेपाल से इस संघ में शामिल होने का अनुरोध किया जाता है, तो यह सभी भारतीयों तथा नेपाल के नागरिकों के लिए भी गर्व और सम्मान की बात होगी। नेपाल की वर्तमान राजनीतिक स्थितियाँ भी अभी बहुत अनिश्चित हैं, चीन किसी न किसी बहाने से उस पर आधिपत्य करने तथा उसके घरेलू मामलों में टांग अड़ाने का प्रयास करता रहेगा। एक कमजोर नेपाल न तो स्वयं की रक्षा कर सकता है, न भारत के हितों की। दूसरी ओर, चीन स्वयं ही, जैसे कि कभी सोवियत संघ था, वैसे ही अब टूटने की कगार पर है, इसलिए भी अगर हमारे देश के कर्णधार इन सारी स्थितियों का आकलन कर अपनी रणनीति तय करें, तो अवश्य ही एक नये शक्तिशाली राजनैतिक भारत का उद्भव विश्व के रंगमंच पर हो सकता है।
यह नेपाल और भारत दोनों के ही स्थायित्व और सुरक्षा के लिए भी अपरिहार्यतः आवश्यक है।
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