July 18, 2021

~~ पंक्तियाँ ~~

कविता : 18-07-2021

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मजबूरी 

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ज़िन्दगी जब बहुत ही, दुश्वार हो जाए,

हैरत नहीं, कोई अगर खूँखार हो जाए!

मौसम सियासत का, होता है आलूदा,

हैरत नहीं कि हर कोई, बीमार हो जाए!

थोड़ा सा खुली हवा में घूमिए तो सही, 

शक नहीं कि तबीयत, गुलज़ार हो जाए!

ज़रूर आँखें चुराते रहिए सच्चाई से,

भूल से इनसे न कहीं, इजहार हो जाए! 

हाँ वो नजर तो आता है, मासूम बहुत,

देखना दुश्मन से कहीं, न प्यार हो जाए!

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