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"Advertisement is the life-line of business."
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पहले किसी ने ऐसा कहा या नहीं, लेकिन अभी अभी जब अपने गीता-ब्लॉग के पोस्ट्स देख रहा था तो अचानक यह पंक्ति मन में कौंध उठी। पब्लिसिटी का समानार्थी शब्द है "एड्वर्टाइज़मेंट" !
और इसी तरह,
"एड्वर्टाइज़मेंट" है डंके की चोट पर की जानेवाली पब्लिसिटी!
मेरे गीता से संबंधित ब्लॉग में किसी किसी दिन अचानक और बिलकुल अनपेक्षित रूप से पेज-व्यूज़ की संख्या बढ़ जाती है। वैसे मेरे दूसरे ब्लॉग्स के बारे में भी यही होता है।
मुझे इसकी खुशी या दुःख तो नहीं, थोड़ा सा अचरज तो होता ही है।
गीता पर जो ब्लॉग मैं लिखता हूँ, उसमें एक अप्रकाशित पोस्ट का टाइटल है :
"Gita As It Is".
इसे लिखना शुरू किया था तब कुछ इस बारे में सोच रहा था।
फिर लगा कि इसे लिखने का अर्थ होगा -विवादास्पद होना।
आज के युग में विवादास्पद होने से भी कभी कभी रातों-रात पब्लिसिटी हो जाती है।
इसलिए इसे अधूरा छोड़ दिया।
लेकिन यह अचरज / कौतूहल अब भी बाकी है कि अचानक किसी दिन पेज-व्यूज़ अकस्मात् इतने अधिक कैसे बढ़ जाते हैं।
मुझे नहीं मालूम कि इसका क्या रहस्य है, और मुझे क्या किसी दिन पता चलेगा !
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