December 28, 2015

आज की कविता / अहसास



आज की कविता / अहसास 
(स्वरचित)
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एक तस्वीर होता है तसव्वुर माज़ी का,
एक तसव्वुर होती है तस्वीर मुस्तक़बिल की,
जिसका तसव्वुर-ओ-तस्वीर हुआ करती है,
वो अहसास मुस्तक़िल होता है क्या? 
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तसव्वुर - कल्पना, माज़ी - अतीत, मुस्तक़बिल -भविष्य, मुस्तक़िल -स्थायी, 

December 25, 2015

आज की कविता / 25 / 12 / 2015.

आज की कविता 
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© विनय वैद्य / 25/12/2015.
मेहमान 
दर्द मेहमाँ था मेरा चन्द रोज़,
जैसे आया था, लौटा वापिस भी,
किसी शरीफ़ से मेहमाँ जैसा,
और अब याद उसकी है मेहमाँ !   
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इतनी ठंड में ....
कोयले से आग लिखो,
आग से लिखो उम्मीद,
और उम्मीद से लिखो मेहनत,
फ़िर लिखो मेहनत से तक़दीर अपनी ।
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