January 21, 2015

कल्पित कथा

कल्पित कथा
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"एक बारमाता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा :
"सुना है आपकी महिमा अनंत है, उसके बारे में कुछ ज्ञान देने की कृपा मुझ पर भी हो! "
माता पार्वती के इस निवेदन पर भगवान शिव अपने स्वरूप पर चिंतन करते हुए समाधि में डूब गए .
उधर माता पार्वती भी एकाग्रचित्त हो आंखें मूंदकर भगवान शिव की वाणी सुनने के लिए प्रतीक्षा करती रहीं . ऐसे ही न जाने कितना काल व्यतीत हो गया, ...
त्रेतायुग में एक बार माता सीता ने भी यही प्रश्न भगवान राम से किया, भगवान राम माता सीता के साथ वन वन भटकते हुए अंत में वहाँ जा पहुँचे जहाँ भगवान शिव और पार्वती प्रगाढ़ समाधि में लीन थे . भगवान राम तथा माता सीता के वहाँ पहुँचतेेे ही माता पार्वती तथा भगवान शिव की समाधि भंग हुई, और वे चारों अदृश्य हो गए...
हे मुनि! तब उस स्थान पर एक ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ,..."
" वह स्थान कहाँ है प्रभु?"
मनुष्य का हृदय ही तो वह स्थान है वत्स!"
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©

January 02, 2015

आज की कविता : 'सर्व'






















आज की कविता :
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'सर्व' है अप्रत्याशित,
'सर्व' था अप्रत्याशित,
'सर्व' होगा अप्रत्याशित,
'सर्वथा' अप्रत्याशित !
'सर्व' तो समग्र है,
जिसमें समाहित है,
'विपरीत' भी,
फिर भी निर्द्वंद्व है,
सर्वतः, सर्वदा, सदा,
अनपेक्षित, अनुपेक्षित,
सर्वथा !

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© विनय वैद्य, उज्जैन,