January 02, 2015

आज की कविता : 'सर्व'






















आज की कविता :
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'सर्व' है अप्रत्याशित,
'सर्व' था अप्रत्याशित,
'सर्व' होगा अप्रत्याशित,
'सर्वथा' अप्रत्याशित !
'सर्व' तो समग्र है,
जिसमें समाहित है,
'विपरीत' भी,
फिर भी निर्द्वंद्व है,
सर्वतः, सर्वदा, सदा,
अनपेक्षित, अनुपेक्षित,
सर्वथा !

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© विनय वैद्य, उज्जैन,

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