July 31, 2021

विचार और अस्तित्व

Freedom from the Thought

क्या विचार से मुक्ति, और विचार-स्वातंत्र्य एक ही तथ्य हैं या परस्पर भिन्न हैं?

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विचार ही विचारकर्ता है, और विचारकर्ता भी पुनः केवल विचार की तरह अस्तित्वमान हो सकता है!

किसी भी वस्तु, विषय, स्थान, समय,  व्यक्ति, अनुभव अर्थात् स्मृति, परिस्थिति, प्रश्न, समस्या, का विचार ही बंधन है । ऐसे ही असंख्य विचार परस्पर जुड़कर वैचारिक श्रृंखला और जाल का निर्माण करते हैं और उसका आधार भी मूलतः कोई विचार ही होता है। विचारक या विचारकर्ता वही रिक्त जाल है ।

फिर भी रोचक और आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि संसार की प्रत्येक वस्तु उसके किसी न किसी विचार के ही अन्तर्गत होती है, और वह परिप्रेक्ष्य अर्थात् चेतना, जो कि विचार का स्रोत है, अदृश्य ही  रह जाता है, और विचार उसे कभी जानता तक नहीं! विचार के अभाव में कैसे कहा जा सकता है कि कोई वस्तु, विषय, स्थान, अनुभव अर्थात् स्मृति, घटना, व्यक्ति, समय आदि (अस्तित्वमान) है या नहीं! फिर भी अस्तित्व की विद्यमानता को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। अस्तित्व ही विद्यमानता है, और विद्यमानता को ही अस्तित्व कहा जाता है। क्या विचार (की विद्यमानता) न होने पर अस्तित्व का अभाव हो जाता है? अस्तित्व का विचार, विचार के अस्तित्व पर अवलंबित होता है जबकि अस्तित्व स्वयं न तो किसी विचार पर निर्भर होता है,  न विचार का परिणाम है, न ही विचार पर अवलंबित कोई वस्तु है।

फिर अस्तित्व क्या है?

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