अथातो भक्ति-जिज्ञासा!
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महर्षि शाण्डिल्य कृत
"भक्तिदर्शनम्"
वर्ष 2004 में उज्जैन में सिंहस्थ पर्व के समय उपरोक्त ग्रन्थ प्राप्त हुआ था। उसका सरल अर्थ लिखने का मन था। उस समय न हो पाया।
आज ही सुबह अचानक पुरानी पुस्तकों को व्यवस्थित करते हुए वह ग्रन्थ हाथ आया।
सुबह 08:00 बजे उसे अपने
swaadhyaaya blog
में type-set करना शुरू किया और अभी दस मिनट पहले यह कार्य पूरा हुआ।
अभी केवल सरल संधि-विग्रह किया है।
शायद कुछ त्रुटियाँ भी होंगी।
ऐसे ही जब कभी पुनः भगवत् प्रेरणा होगी तो उसका सरल अर्थ भी लिख पाऊँगा !
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