July 07, 2021

वह पूरा शहर!

विज्ञान कथा : 2027

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15 किमी गुणित 15 किमी में पूरा शहर बसा हुआ है। 

अफवाह फैलती है कि यह शहर जल्दी ही खाली कर दिया जाना है। कुछ ही दिनों बाद एक सरकारी आदेश जारी किया जाता है कि शहर छोड़कर जो भी जाना चाहे, जा सकता है।  अपनी इच्छा के अनुसार वह देश के किसी भी दूसरे शहर में जा सकता है जहाँ उसे रहने के लिए वैसा ही या उससे बेहतर घर दिया जाएगा। सभी को इस बारे में विस्तार से जानने की इच्छा थी। पर क्यों? 

कई लोग शहर छोड़ने को लेकर दुविधा में थे। 

सरकार ने फिर दूसरी चेतावनी जारी की। 

जल्दी ही किसी भी दिन किसी भी समय कोई सुप्त ज्वालामुखी अचानक सक्रिय हो सकता है, भूचाल आ सकता है, या ऐसा ही कुछ और भी हो सकता है, जिसके बाद शहर में रहना मतलब खतरों से सामना करने के लिए तैयार रहना होगा ।

फिर भी कुछ मुट्ठी भर साहसी लोग शहर को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए। धीरे धीरे शहर की जनसंख्या 10% से भी कम रह गई । इनमें से 1% तो वे थे, जिनका बहुत अधिक राशि के लिए सरकार ने मुफ्त बीमा कर रखा था। शेष 9% में से भी कुछ लोग धीरे धीरे हिम्मत हारने लगे थे। 

शहर की जनसंख्या 2% रह गई, और एक सुबह जब लोगों की नींद खुली, तो उन्हें सब कुछ बड़ा अजीब सा लग रहा था। सुबह सुबह मॉर्निङ्ग वॉक पर जानेवालों ने देखा, क्षितिज उनके शहर की हद तक आ चुका था। उन्हें क्षितिज दिखाई तो देता था, और वे उसे छू भी सकते थे। लेकिन यह एक ठोस अपारदर्शी दीवार जैसा था, जिससे पार कुछ नहीं देख सकते थे। वे जब लौट कर घर आए तो उनके मोबाइल वैसे ही काम कर रहे थे जैसे पहले किया करते थे। पर वे शहर में बन्द होकर रह गए थे। 

वे दूसरे स्थानों के अपने मित्रों, परिचितों से वीडियो चैट भी कर सकते थे और उन्हें बता रहे थे कि क्या हुआ आज, और वे किस परेशानी में पड़ गए हैं। 

और लोगों की तरह ही उन्हें भी शीघ्र ही पता चल गया कि उनके शहर को 'स्कूप' कर लिया गया है और वे अब 6 माह से 1 साल  तक अंतरिक्ष में ही रहेंगे। लेकिन यह भी पूरी तरह सत्य नहीं था। उनका शहर जो एक आकाशीय पिंड हो चुका था, एक अजीब स्थिति से गुजर रहा था। कुछ दिनों तक तो उनके लिए कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण की व्यवस्था की गई थी, फिर वह भी धीरे धीरे कभी कभी कुछ समय के लिए बंद रहने लगी। तब उन्हें समझ में आने लगा कि कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण न होने पर भी कैसे अपने सारे कार्य कर सकें। तीन माह बाद तक तो उनमें से हरेक को अपनी आँखों पर भरोसा नहीं रह गया था।

किन्तु उनके भोजन, पानी आदि की व्यवस्था और देखरेख बहुत अच्छी तरह से हो रही थी। वे आराम से फ़िल्में देख सकते थे,  किसी भी शहर के किसी भी परिचित व्यक्ति से बातचीत भी कर सकते थे। लगता है कोई अदृश्य शक्ति उनकी देखभाल कर रही थी।  कभी कभी वह एक मनुष्य की तरह उनसे बातें भी करती थी, लेकिन उसकी ही मर्जी से, -न कि उन लोगों की मर्जी से। 

वह आवाज स्वयं को 'परमात्मा' कहती थी। शहर के बच्चे यही मानने भी लगे थे। बड़े लोगों को भी धीरे धीरे ऐसा विश्वास हो चला था। जब एक बूढ़े आदमी की मृत्यु होनेवाली थी, तो उस आवाज ने उससे कहा था : 

"तुम्हें नींद आनेवाली है, तुम सो जाओ, जब तुम्हारी नींद खुलेगी  तो तुम अपने आपको उसी पहले वाली धरती पर इस शहर से अलग किसी दूसरे शहर में पाओगे । वहाँ तुम फिर युवा हो जाओगे और जब तक चाहोगे जीवित रहोगे।"

फिर वह व्यक्ति सो गया, और एक एम्बुलेंस उसके घर आकर उसे ले गई ।

अन्ततः वह पूरा शहर किसी ग्रह पर इस तरह से उतर गया जैसे कोई उड़न-तश्तरी हो। वहाँ वह वैसा ही था जैसा धरती पर हुआ करता था। लेकिन अब वहाँ क्षितिज वैसा ही बहुत दूर दिखाई देता था जैसा कि धरती पर हुआ करता था। वे लोग अब अपनी कारों में बैठकर आसपास के दूसरे स्थानों पर भी जा सकते थे जहाँ के लोग इन्हें 'देवता' (Alien) समझने लगे थे। 

फिर एक दिन आवाज सुनाई दी :

"हमें कल तक ही यहाँ रहना है। कोई भी शहर छोड़कर न जाए! और सब लोग घबराकर लौट आए थे।"

रात्रि में किसी समय फिर उस शहर को 'स्कूप' कर लिया गया था, और सुबह वह धरती पर लौट आया था। जाते समय पूरे सात या आठ माह लगे थे, तीन चार महीने वे वहाँ रहे थे, और जब धरती पर किसी उड़न-तश्तरी की तरह से उनका शहर उतरा, तो ठीक उसी स्थान पर जहाँ से उन्हें उठाकर ले जाया गया था।

बहुत से लोगों को यह सब स्वप्न जैसा लग रहा था लेकिन धरती पर बहुत से लोगों को अफ़सोस  हो रहा था :

काश! वे शहर न छोड़ते!

शायद ही कोई इस कहानी को सच माने!

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