कविता : 27-07-2021
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अनुपलब्धियाँ
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एक दिन फिर और ऐसा बीत गया,
सुबह से शाम तक की व्यस्तता,
शाम से रात तक की व्यर्थता,
और फिर रात को सो जाना थककर,
सुबह होते ही नया ऐसा ही दिन,
एक दिन फिर और बीत जाएगा,
सुबह से शाम तक की व्यस्तता,
शाम से रात तक की व्यर्थता,
और फिर रात को सो जाना थककर,
सुबह होते ही नया ऐसा ही दिन!
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