July 13, 2021

चलो, यही कर देखो!

कविता : 13-07-2021

संकल्प-विकल्प! 

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तुम जो चाहो, वह शायद, तुम कर सकते हो, 

लेकिन क्या चाहोगे, कैसे तय कर सकते हो! 

तुम जो सोचो, वह शायद, तुम कह सकते हो, 

लेकिन क्या सोचोगे, कैसे तुम, कह सकते हो!

कोई भी सोच तुम्हारी चाह बदल सकती है,

कोई भी चाह तुम्हारी सोच बदल सकती है!

हालात, वक्त, जरूरत, वगैरह बदल सकते हैं,

उनके ही जरिए, हालत भी, बदल सकती है!

तुम बोलोगे, मान लिया है, हमने, पहले से ही, 

करना क्या है, ठान लिया है, हमने, पहले से ही!

कोई नहीं रोक सकता है, हमको वह करने से,

कोई नहीं डिगा सकता है, हमको अब करने से!

चलो, यही कर देखो, शायद ऐसा ही होना होगा,

फिर आखिर में तुमको ही, हँसना या रोना होगा!

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