May 20, 2021

TOOL-KIT / टूलकिट!

सामयिक, 

कविता : 20-05-2021

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जानता हूँ, तूल-कीट !

तूलिका! या तू लिखित!

तू बता, क्यों है पुलकित!

तन्तुकीट, जन्तुकीट! 

उद्दण्ड, निर्लज्ज ढीठ! 

नष्ट कर तू जगत को, 

सच्चरित्रता को पीट! 

तूलिका तू रच रही, 

रंग-रूप, शुभ-अशुभ!

आकृतियाँ, संस्कृतियाँ,

यंत्रवत, विकृतियाँ भी!

करती रह मनचली!

जैसी भी चाहे अनुकृति!

तूल दे चिंगारी को,

भड़का दे अग्नि तू! 

प्रलयंकर!  फिर भी तू! 

अवश्य होगी पराजित!

ध्वंस के इस काल में, 

महामारी के व्याल में, 

अनहित में, अहित में भी, 

यद्यपि है तू सुपरहिट!

कर ले उत्पात तू! 

उपद्रव, विनाश तू!

किन्तु यह न भूलना! 

विषैले घुमन्तु कीट! 

अपने ही तन्तुओं में, 

हो जाता है बन्द,

जब आता है अन्त,

रेशमी, हे तन्तुकीट!

***

 




 


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