May 04, 2021

अंत और प्रारंभ

कविता  :

04-05-2021

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धीरे धीरे खोएगा वक्त,

या फिर पलक झपकते! 

धीरे धीरे आएगा अंत,

या फिर फ़लक टपकते!

धीरे धीरे गिर जाएगा, 

या फिर लेकर वक्त !

कैसा कितना होगा वह,

कोमल होगा या सख्त! 

आसमान गिर जाए तो,

क्या धरती फिर टूटेगी! 

धरती अगर टूट भी जाए,

फिर टूटेगा आसमान भी!

क्या तब जहाँ रहेगा, 

जब भी ऐसा होगा,

इंतजार मुझको है,

जब भी ऐसा होगा!

***




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