कविता 02-05-2021
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अच्छा है सब खो जाए,
आखिर तो खोना ही है,
अच्छा है वह सब हो जाए,
जो तय है, जो होना है,
क्या जग मैंने पाया था,
या जग ने पाया मुझको,
अच्छा है जग मिट जाए,
आख़िर तो मिट ही जाना है!
जो मिटता है, बनता है,
जो बनता है, मिटता है,
मिटने-बनने वाला जग,
मेरा क्या होनेवाला है!
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