May 05, 2021

तसवीर : यह पहलू!

कविता 05-05-2021

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न चौखट बदल रही है,

न तसवीर बदल रही है,

जिन्दगी आजकल कुछ,

यूँ ही गुजर रही है!

तसवीर पर हर रोज़ ही,

नजरें भी पड़ रही हैं,

कोई नहीं बदलता,

बस धूल चढ़ रही है!

कुछ लोग हैं ऐसे भी,

हर रोज़ बदलते हैं, 

हर रोज़ बनाते हैं, 

तसवीर नई कोई! 

हर रोज़ सजाते हैं, 

फ्रेम नई कोई!

जीवन के वे चितेरे,

वे खुद ही तो हैं जीवन,

जो पूजा कर रहा वह,

क्या जानेगा पुजारी!

***

(स्व. प्रभु जोशी की स्मृति में, और उन्हें ही समर्पित) 

*** 

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