कविता : 23-05-2021
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स्वप्न की क्या योजना,
योजना का स्वप्न क्या!
प्रवाह है जीवन सहज,
अतीत क्या भविष्य क्या! १
जो हो चुका, अतीत था,
भावी ही तो भविष्य है,
नित्य, शाश्वत, चिर, वर्तमान,
इसके लिए प्रयास क्या! २
स्मृति से उठता स्वप्न है,
स्वप्न से उठती स्मृति है,
स्वप्न-स्मृति के खेल में,
हार भी क्या, जीत क्या! ३
पल पल बदलते दृश्य की,
परिवर्तन ही तो धुरी है,
समय की यह जो धुरी,
क्षणिक क्या या दीर्घ क्या! ४
दृग-दृश्य का जो भेद कल्पित,
दृग-दृश्य से स्वतंत्र क्या!
दृग-दृश्य से स्वतंत्र किंतु,
चेतना है दृश्य क्या! ५
प्रपञ्च का जो बीज है,
प्रपञ्च का विस्तार भी,
जगत में भी, जगत् से परे,
बीज क्या, विस्तार क्या! ६
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