May 13, 2021

अहंकार

संवेदनशीलता 

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(feature@jagran.com) 

पर, आज के नई दुनिया (इन्दौर) में पढा़ :

"अपनी राय से हमें अवश्य अवगत करायें।"

अनायास मन हुआ, तो यह लिखा :

अहंकार को बनाए रखकर संसार की सेवा करना अर्थात् कोई मिशन आदि लेकर कार्य करना, और कंदराओं में जाकर सत्य या भगवान की खोज करना, समान है। 

अनायास प्राप्त हुए आवश्यक कर्तव्य-कर्म को निष्काम भाव से करते रहना ही सदैव रहनेवाली मानसिक शान्ति का एकमात्र मार्ग है। 

तो प्रश्न यह नहीं है कि अहंकार को कैसे दूर अथवा कम किया जा सकता है, या कैसे मिटाया जा सकता है! मजेदार बात यह है कि ऐसा प्रयास भी स्वयं इस अहंकार की ही गतिविधि होता है, और इस प्रकार से अहंकार छिपा रहकर भी लगातार अस्तित्व-मान रहता है। 

असंवेदनशीलता ही अहंकार है। 

संवेदनशीलता होना ही अहंकार का निवारण है। संवेदनशीलता अभ्यास से नहीं, जागरूकता से अस्तित्व में आती है।

यदि संवेदनशीलता है, तो जीवन जैसा भी हमारे समक्ष है, उसे अनायास ही यथोचित प्रत्युत्तर दिया जाता है। 

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