May 09, 2022

दो मुक्तक

©

1.

रास्ता, भविष्य का, 

कहीं नहीं मुड़ता,

टूट जाएँ पंख तो,

पंछी नहीं उड़ता,

फूल जैसे सूख जाए,

शाख से टूटा हुआ,

लौटकर वह फिर कभी,

शाख से नहीं मिलता! 

--

2.

लक्ष्य यद्यपि शुद्ध है, 

पर रास्ता अवरुद्ध है,

चाहती है यदि नियति ही,

करना निरन्तर युद्ध है!

***






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