May 09, 2022

आज की दुनिया में,

कविता / 09-05-2022

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सोच पर बंदिश नहीं,

इजहार पर हो सकती है,

ख्वाब पर बंदिश नहीं,

दीदार पर हो सकती है, 

रस्मो रिवाज़ की पाबंद,

इस दुनिया में, 

दोस्ती-दुश्मनी पर हो न हो,

तक़रार पर हो सकती है!

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