~~आज की बात~~
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दुनिया में तीन ही क़िस्म के लोग पाए जाते हैं, मिलते है, या फिर किसी वजह से या बेवजह भी टकराते रहते हैं। उनकी बात बाद में!
पहले अपनी बात!
आदमी समझदार होता है, नासमझ या फिर बस कन्फ्यूज्ड। लेकिन कोई हर वक्त ही एक जैसा होता हो, यह ज़रूरी नहीं! और कोई कभी कभी समझदार, कभी कभी नासमझ या फिर कभी कभी बस कन्फ्यूज्ड हो सकता है। यह आम आदमी के बारे में। कोई कोई जाने-अनजाने भी किसी उसूल, खयाल का, आदत, मजहब, मजबूरी का, इस क़दर पाबंद होता है कि सपने में भी उसके ख़िलाफ जाने का सोच तक नहीं सकता। और न सिर्फ़ पाबंद, बल्कि कट्टर हिमायती भी। यह भी उसी तरह का समझदार, नासमझ या कन्फ्यूज्ड हो सकता है, जैसा कि दूसरा कोई भी आम आदमी हुआ करता है।
ऐसे कितने ही लोगों से दुनिया भरी हुई है। कोई किसी को यह नहीं समझा सकता कि क्या गलत है क्या सही, और क्या इस दुनिया को बनाने वाला, बचाने वाला या मिटाने वाला, कोई है या नहीं, अगर है भी, तो उसकी क्या शक्लो-सूरत है, वह कहाँ रहता है, आदमी है या औरत है या किसी और ही तरह की कोई शै है! वह दुनिया से अलग है या दुनिया में ही छिपा हुआ या कि फिर जाहिर है!
लेकिन एक बात मुकम्मल और बेशक तय है, कि वह इंसान के दिल में रहता है, न कि दिमाग में। शायद उसे ही रूह कहा जा सकता है। वह एक है या एक नहीं है, वह अनगिनत है, सबमें है, या सब उसमें है, इस बारे में हर किसी का अपना अपना एक सोच है। और किसी किसी को तो इस बारे में सोचने की जरूरत ही नहीं महसूस होती। उनमें से भी कुछ तो समझदार, कुछ तो नासमझ और कुछ कन्फ्यूज्ड होते होंगे!
लेकिन जो इस बारे में सोचते भी हैं उनमें से भी कुछ समझदार, कुछ नासमझ और कुछ कन्फ्यूज्ड होते होंगे। कोई किसी को यह नहीं समझा सकता, कि क्या गलत है, क्या सही, और क्या इस दुनिया को बनाने वाला, बचाने वाला या मिटाने वाला, कोई है या नहीं, अगर है भी, तो उसकी क्या शक्लो-सूरत है, वह कहाँ रहता है, आदमी है या औरत है या किसी और ही तरह की कोई शै है। वह दुनिया से अलग है या दुनिया में ही छिपा या कि फिर जाहिर है!
वजह जो भी हो, दुनिया जैसी है, वैसी है! वह जैसा है, वैसा है, दिल जैसा है वैसा है और दौलत भी जैसी है वैसी है।
जिन्दगी जीने और जिन्दा रहने के लिए तीनों ही चीजें : दिल, दौलत और दुनिया जरूरी हैं। मरने के बाद क्या होता होगा इसे शायद ही कोई भी समझदार, नासमझ या कन्फ्यूज्ड कभी जान पाता होगा!
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