May 29, 2022

उम्र का बोझ!

कविता : 29-05-2022

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देह पर उम्र का जब बोझ बहुत होता है, 

छोटा सा काम भी, जैसे, बड़ा सा होता है!

हरेक रास्ता हो जाता है, लंबा दुश्वार, 

बमुश्किल जिन्दगी का सफ़र होता है!

हो जाती है याददाश्त, नज़र भी धुँधली,

रिश्तों पर, अहसास पर भी असर होता है!

गलतफहमियाँ बदल जाती हैं गलतियों में,

आदमी इस सबसे मगर, बेखबर होता है!

एक सपने में या नींद में चलता हुआ सा,

अजनबी बोझिल, हालाते-मंज़र होता है!

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