खत्म हो जाएँगे!"
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कहती है,
वह अफ़ग़ान लड़की!
दो तीन दिनों पहले लिखा,
याद आया,
द्रौपदी का चीरहरण,
जारी है!
सदैव प्रताड़ित, अपमानित,
और पीड़ित नारी है!
किसी को फ़ुरसत नहीं है,
किसी को फ़िक्र नहीं!
रूसी भालू, चीनी अज़दहा और
पाकिस्तानी शुतुरमुर्ग़ भी,
"अफ़ग़ानिस्तान आजाद हो गया!"
कह रहे हैं,
और, तमाम (का)पुरुष, राजनेता,
और तथाकथित धर्मगुरु भी!
***
ये दुनिया अगर मिल भी जाए, तो क्या है,
ये दुनिया अगर मिट ही जाए, तो और भी अच्छा!
***
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