कविता 01-08-2021
---------------©--------------
अचरज / कौतूहल
जिस्म में है दर्द लेकिन, वो जिस्म को होता नहीं,
जिसको होता है वो लेकिन, -दर्द नहीं, जिस्म नहीं!
है ये आखिर एक यह, सवाल क्या, कितना अबूझ,
ये भी क्या तिलिस्म है, ऐसी तो कोई किस्म नहीं!
***
कविता 01-08-2021
---------------©--------------
अचरज / कौतूहल
जिस्म में है दर्द लेकिन, वो जिस्म को होता नहीं,
जिसको होता है वो लेकिन, -दर्द नहीं, जिस्म नहीं!
है ये आखिर एक यह, सवाल क्या, कितना अबूझ,
ये भी क्या तिलिस्म है, ऐसी तो कोई किस्म नहीं!
***
No comments:
Post a Comment