August 14, 2021

हिरण्यगर्भ / Cosmic Mind.

कविता : 14-08-2021

सूत्रधार 

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स्मृतिमंच पर नित हो रहे, नए नए नाटक घटित, 

स्मृतिमंच पर नित हो रहे, नए नए नाटक सतत, 

क्या कहीं है कोई भी, इस नाटक का सूत्रधार?

क्या कहीं है कोई भी, इस नाटक का सूत्रकार?

यंत्रवत निर्वाह करता है, हर एक इसका पात्र ही, 

जिसकी भी मिली है उसको, जो जो भूमिका वही,

स्वयं ही तो है दर्शक वह अपने ही अभिनय का,

और स्वयं ही अभिनेता वही है, अभिनय भी वही ।

क्या कहीं है इस नाटक का, दूसरा दर्शक कहीं?

किन्तु दर्शक भूल जाता है स्वयं को बार बार,

पूछता है पुनः पुनः, है कौन इसका सूत्रधार?

कभी कभी तो बीच में ही, पात्र सो भी जाता है,

और दर्शक मौन ही रह, उस पात्र में खो जाता है!

फिर भी कितने ही और हैं, जागते रहते हैं जो,

खेल, हँसकर या रोकर, खेलते रहते हैं जो ।

हर बार जब गिरता है पर्दा, और उठता है पुनः,

आते हैं नए पात्र, कथा नई, नाटक के दृश्य नए!

दर्शक फिर पूछता है, कौन सी है यह कथा?

दर्शक फिर पूछता है, है कौन इसका सूत्रधार!

क्या कहीं है कोई भी, इस नाटक का सूत्रधार?

क्या कहीं है कोई भी, इस नाटक का सूत्रकार?

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