कविता : 19-08-2021
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आप बड़े सुकून से हैं,
शायद देहरादून से हैं!
क्या आपको यूँ लगा?
कि जैसे हम मून से हैं!
अपना कहाँ नसीब ऐसा,
चैन या सुकून कहीं,
बेवजह सब कहते हैं,
हम बहुत ज़ुनून से हैं!
कुछ हैं ऐसे जो कि,
बिक चुके हैं थोकबन्द,
और कुछ बाकी हैं जो,
बाजार में परचून से हैं!
कुछ हैं आटा, दाल, चाँवल,
कुछ हैं सब्जी, तेल, घी,
कुछ मसाले, मिर्च शक्कर,
कुछ यहाँ पर नून से हैं!
कुछ यहाँ हैं प्रखर वक्ता,
कुछ यहाँ हैं धीर श्रोता,
कुछ तो हैं अधीर आतुर,
क्या सभी सुकून से हैं!
कुछ लिफ़ाफे बेपते हैं,
पता कुछ पर गलत भी,
कुछ में तो ख़त ही नहीं,
कुछ तो बेमज़मून से हैं!
किसी का खून पानी है,
किसी का खून, खून है,
किसी को माफ़ खून सौ,
क्योंकि वह तो मासूम है!
चाचा रहीम कह गए,
रहिमन पानी रखिए,
पानी गए न ऊबरे,
मोती, मानुष, चून है!
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हिन्ट :
फेस्टून, फॉर्चून, अफ़लातून, कोकून, ट्यून, प्रसून, जून, जैतून, बैलून, जेजून, नाखून, ऊन ।
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