August 21, 2021

शायद यह प्रेम है!

कविता : 21-08-2021

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कब तक घूमती रहेगी धरती, 

सूरज के इर्द-गिर्द!

कब तक घूमती रहेगी धरती,

अपनी धुरी के इर्द-गिर्द!

क्या उसे पता है कि, 

वह घूम रही है, 

सूरज के इर्द-गिर्द!

क्या उसे पता है कि, 

वह घूम रही है, 

अपनी धुरी के इर्द-गिर्द!

और यदि उसे पता न हो,

तो किसे पता है!

जिसे पता है,

क्या उसे पता है कि, 

समय क्या है!

क्या संबंध और परिचय ही, 

समय नहीं है! 

क्या समय ही नहीं है समस्या! 

यदि संबंध और परिचय नहीं है, 

तो कोई समस्या कहीं है क्या?

तो क्या समय, कहीं है क्या!

और, क्या प्रेम में समय होता है? 

फिर पता होना या,

पता न होना, कहीं है क्या!

क्या प्रेम में, 

पता होना, या पता न होना, होता है! 

फिर धरती कब तक घूमती रहेगी,

सूरज के इर्द-गिर्द, 

या, धरती कब तक घूमती रहेगी, 

अपनी धुरी के इर्द-गिर्द,

यह सवाल कहीं है क्या?

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