August 26, 2021

चेहरा

कविता : 26-08-2021

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हर चेहरा यहाँ मोहरा है, 

हर मोहरा कलाकार,

अपने फ़न में तो है माहिर,

बाकी सब में बेकार! 

किया करता है वही काम, 

जो लगता है उसे अच्छा,

लेकिन नतीजा क्या होगा,

शायद ही हो सोचता!

नेता हो, या अभिनेता हो,

निर्देशक हो या निर्माता,

पेशेवर पैसेवाला जो पूँजी, 

लागत में लगाता। 

बस यूँ ही चला करता है,

बाजार का व्यवहार,

दर्शक ही ठगा जाता है,

इस खेल में हर बार! 

फिर भी है चला करता,

चलता ही रहेगा, 

जब तक है ये दुनिया, 

जब तक है ये संसार! 

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