April 05, 2022

दिन गुजरते जा रहे हैं!

कविता : 05-04-2022

---------------©-------------

किसलिए? 

--

कुछ भी नहीं है, यूँ भी कहने के लिए,

यूँ कि बस, ये दिन गुजरते जा रहे हैं! 

कुछ भी नहीं है करने के लिए मगर, 

हर दिन ही हम, रोज़ मरते जा रहे हैं!

और कुछ दिन आखिरी हैं युद्ध के,

कौन कल होगा यहाँ पर, या न हो,

कुछ हैं घायल मगर कुछ वे और भी,

हर रोज़ जो दम तोड़ते ही जा रहे हैं!

क्या पता वह कौन सी है, हार-जीत, 

जिसकी ख़ातिर यूँ, लड़ते ही जा रहे हैं!

*** 



No comments:

Post a Comment