कविता / 27-04-2022
--------------©--------------
एक रहस्य!
--
पता नहीं वह क्या करता है,
दिन भर बैठा रहता है!
बाक़ी के कुछ घंटे लेकिन,
वॉकिंग करता रहता है,
शायद वह बीमार नहीं,
उसको शायद कुछ काम नहीं,
वैसे तो वह आराम से है,
फिर भी उसको आराम नहीं!
कुछ घंटे वह मोबाइल पर,
हर रोज़ बिताता रहता है!
अगर किसी से मिलता भी है,
तो चुपचाप ही रहता है,
पता नहीं, सोचता है क्या,
या बस सुनता रहता है!
उसका मन व्याकुल होता है,
या प्रसन्न वह रहता है!
उसके साथ रहा हूँ लेकिन,
अब तक नहीं समझ पाया,
क्या है आखिर उसके दिल में,
या है वह, कोरा साया!
उसकी बातें वो ही जाने,
मुझको है मालूम यही,
मैं रहता हूँ उसके भीतर,
वह रहता है मुझमें ही!
***
No comments:
Post a Comment