April 30, 2021

मैं अभी वहीं हूँ!

कविता 30-04-2021

--------------©-------------

जहाँ था बचपन में,

अजनबी सा इस दुनिया में, 

जहाँ कोई नहीं जानता किसी को, 

फिर भी जान-पहचान तो बन ही जाती है न! 

और यह वहम भी, 

कि मैं इस इस, को जानता हूँ, 

और वह वह, मुझे जानता है ।

उस उस से मेरी दोस्ती है, 

और उस उस से मेरी दुश्मनी! 

बाक़ी बचे लोग बस अजनबी हैं, 

मेरी ही तरह वे भी, 

किसी को जानते हैं, 

कोई उन्हें जानता है !

मैं अब भी वही हूँ, 

मैं अब भी वहीं हूँ! 

और मुझे यह सब लिखते हुए, 

आता है ख़याल दे'जा वू सा, 

कि मैंने यह कविता,

शायद पहले भी कभी लिखी थी, 

हाँ,  बिल्कुल यही! 

***




No comments:

Post a Comment