April 18, 2021

हसरत / कविता

 कविता / 18-04-2021

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बहुत कुछ लिखने को है, 

बहुत कुछ पढ़ने को है,

बहुत कुछ देखने को है,

पर नहीं है बहुत समय,

पर नहीं है कोई साधन,

पर नहीं है कोई उत्सुक,

पर नहीं है कोई चाहत!

पर नहीं है किसी को ज़रूरत, 

पर नहीं है किसी को फ़ुरसत! 

पर नहीं है किसी को मतलब,

और न है (मेरी भी) कोई हसरत! 

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