April 04, 2021

एक अहसास अजीब सा!

एक कविता छोटी सी...

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कुछ नहीं, बस यूँ अकेले, सोचता था मैं बैठकर,

पुकारेगा, बुलायेगा मुझे,  कोई तो आवाज देकर,

पर बहुत हुआ हैरान, जब राज मुझ पर यह खुला,

हरेक शख्स है इंतजार में, मेरी तरह बैठा हुआ!

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