April 03, 2021

जीवन को जानो!

कौतूहल क्यों उत्सुकता क्यों, 

क्या मिल जाएगा तुमको? 

जिसकी इच्छा मन में है, 

तुम उस पर ध्यान लगाओ, 

जो ध्यान तुम्हारा खींचे,

उससे ना तुम भरमाओ ।

फिर यह भी तुम जानो, 

यह इच्छा किसे हुई है,

क्या इच्छा भी मोह नहीं है? 

पहले यह पता लगाओ!

इच्छाएँ मन में उठती रहती, 

क्षण क्षण विपरीत अनेक, 

जिसमें उठतीं क्या मन हो?

फिर मन क्या है, यह जानो। 

यदि तुम मन हो, तो यह जानो,

क्या यह मन है नित्य?

या जिसमें यह उठता-खोता,

क्या हो तुम वह नित्य? 

हाँ मुश्किल है, इसे समझना, 

लेकिन राह यही है,  

पा ही लोगे उसको आख़िर,

जिसकी चाह रही है! 

वह उठती-गिरती वस्तु नहीं,

वह तो है नित्य विवेक,

जिससे भ्रम सब मिट जाएँगे,

जो आत्मा,  ईश्वर एक। 

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