©Vandana Goel
© Vandana Goel,
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ज़िन्दगी ख्वाब है क्या?
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मैं शायद मर जाता कल ही,
लेकिन बाक़ी थे ख्वाब अभी!
इसीलिए पर जिन्दा हूँ मैं,
बाक़ी हैं कुछ ख्वाब अभी!
कल भी जिन्दा रह सकता हूँ,
शायद बाक़ी हों ख्वाब अगर,
शायद जिन्दा होने से ही,
होते हों दिल में ख्वाब अगर!
नहीं जानता फिर भी लेकिन,
ख्वाबों से कोई होता है,
या उसके जिन्दा होने से ही,
होते हैं उसके ख्वाब मगर!
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पैन्टिंग्स : सौजन्य ---- वन्दना गोयल
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