उपक्रम / स्टार्ट अप!
कविता
------------©-----------
1.
बैठा वह लेकर एक पिंजरा,
आगन्तुक पूछता है भाग्य अपना,
उसने बना रखे हैं,
कुछ हस्तलिखित पत्र,
मोटे सफेद कागज,
एक से कटे हुए!
उसके इशारे पर,
निकलता है बाहर,
एक तोता,
मुंडी हिलाता हुआ,
गिनकर क़दम रखता हुआ,
अपनी चोंच से,
कागजों को पढ़ता(?),
ठकठकाता हुआ,
फिर किसी एक को खींच
बाहर निकालता हुआ,
जिस पर न केवल दक्षिणा,
बल्कि आगन्तुक का प्रश्न,
और उस प्रश्न का उत्तर भी,
है लिखा हुआ,
आगन्तुक चकित सा,
दक्षिणा देकर जाता हुआ!
दो चार दूसरे नए,
अपनी बारी का,
इंतजार करते हुए,
लौट जाता है तोता,
पिंजरे में!
पास के बोर्ड पर लिखा है :
पैरट कार्ड / Tarot card.
--
2.
अब दूसरा आगन्तुक पूछता है :
"मेरा भविष्य क्या है?"
तोता उसी प्रकार से,
पिंजरे से निकलता है,
मुंडी हिलाता हुआ,
गिनकर क़दम रखता हुआ,
एक कार्ड खींचता है,
ज्योतिषी पढ़कर सुनाता है :
"वही जो तुम्हारा वर्तमान है!"
आगन्तुक संतुष्ट नहीं होता,
पूछता है:
"ऐसा कैसे हो सकता है?"
फिर तोता बाहर निकलता है,
मुंडी हिलाते हुए,
एक कार्ड खींचता है,
ज्योतिषी पढ़ता है:
"तुम नित्य, शुद्ध, बुद्ध, चैतन्य मात्र हो!
यही तुम्हारा भविष्य है।"
ज्योतिषी आगे पढ़ता है :
"दक्षिणा १०१ रुपये, ज्योतिषी से प्राप्त करो!"
ज्योतिषी आगन्तुक को १०१ रुपये देता है और आगन्तुक ज्योतिषी के चरण स्पर्श कर खुशी खुशी चला जाता है।
--
No comments:
Post a Comment