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जब अतीत बीत चुका हो,
और भविष्य की कहीं कोई,
सुगबुगाहट तक न हो ।
कहीं न होते हुए,
बस प्रतीक्षा और विचार,
कहीं होने का!
यह वर्तमान ठहरा ठहरा,
हाँ, लोग परिचित हैं,
हाँ, स्वयं अपरिचित है,
हाँ, परिस्थितियाँ सामान्य,
हाँ सब है क्षेम-कुशल,
फिर भी, जैसा कि कहते हैं, :
"सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है!"
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