April 29, 2021

वर्तमान

कविता
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जब अतीत बीत चुका हो, 
और भविष्य की कहीं कोई,  
सुगबुगाहट तक न हो ।
कहीं न होते हुए,
बस प्रतीक्षा और विचार,
कहीं होने का!
यह वर्तमान ठहरा ठहरा, 
हाँ, लोग परिचित हैं, 
हाँ, स्वयं अपरिचित है, 
हाँ, परिस्थितियाँ सामान्य,
हाँ सब है क्षेम-कुशल,
फिर भी, जैसा कि कहते हैं, :
"सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है!"
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