कविता : 24-05-2021
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किसी दिन अगर ना मिले भी तो क्या है!
किसी ना किसी दिन तो होना यही है!
किसी दिन अगर ग़म मिले भी तो क्या है!
किसी ना किसी दिन तो होना यही है!
किसी दिन अगर नींद टूटे न तो क्या!
किसी ना किसी दिन तो होना यही है!
जो होना अगर है किसी ना किसी दिन,
हो जाए अभी ही तो होना यही है!
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