February 20, 2023

पटरियाँ

क वि ता  : 20 02 2023

राजनीति, धर्म-अधर्म और युद्ध

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रेल की दो पटरियाँ,

दूर तक जाती हुईं,

जान पड़ती हैं मुझे, 

लक़ीर धुँधलाती हुई,

उनके साथ साथ मैं, 

दौड़ता हूँ दूर तक, 

पर नहीं पाता उन्हें, 

मैं कभी मिलती हुई!

महाभारत की हो या, 

मगध उत्कल की कथा,

दंश धर्म-अधर्म के,

परंपराओं की व्यथा,

आज तक दो पटरियाँ,

दूर तक जाती हुई, 

जान पड़ती हैं मुझे, 

लक़ीर धुँधलाती हुई!

कल लिखा था एक अंश,

आज है यह दूसरा, 

कल मिला था एक दंश, 

आज है फिर दूसरा!

अहिंसा है धर्म परम,

और हिंसा है अधम,

हिंसा-अहिंसा का मिलन,

राजनीति, -रूप छद्म!

आज भी दो पटरियाँ,

दूर तक जाती हुईं,

जान पड़ती हैं मुझे, 

लक़ीर धुँधलाती हुई!

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