मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्
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दो दिन पहले इसी ब्लॉग में उपरोक्त शीर्षक से योग(दर्शन) के संक्षिप्त इतिहास के बारे में लिखा था। प्रसंगवश मनु महाराज का उल्लेख भी किया था। विदित हो कि मनु महाराज भगवान् श्रीराम, रघु और दिलीप के पूर्वज थे । रघुवंश क्षत्रिय वर्ण और कुल है जिसकी उत्पत्ति भगवान् सूर्य से मानी जाती है। इन्हीं भगवान् सूर्य (विवस्वान्) को परमेश्वर ने सर्वप्रथम योगविद्या का (श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय ४ और अध्याय ९) उपदेश दिया था। जैसे ऋषियों और ब्रह्मविद्या के उपासकों के लिए "साङ्ख्य" महत्वपूर्ण है, वैसे ही क्षत्रियों के लिए राज-विद्या अर्थात् राज-योग महत्वपूर्ण है, जो कि कर्म और संकल्प की शक्ति के द्वारा श्रेयस् की उपलब्धि करने का उपाय है। और इसलिए आज के समाचार पत्रों में जब यह भी पढ़ा कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के तीन दिन चलनेवाले अधिवेशन के अंतिम दिवस पर जमीयत के अरशद गुट के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के द्वारा :
"अल्लाह" और "ओम्" एक है।"
कहे जाने से विवाद उत्पन्न हो गया, तो आश्चर्य नहीं हुआ।
किसी संप्रदाय-प्रमुख द्वारा ऐसे विवादास्पद वक्तव्य देना अपने आपमें दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे न तो उनके संप्रदाय के, और न ही किसी भी दूसरे संप्रदाय के अनुयायी सहमत हो सकेंगे।
(यहाँ "धर्म" के बजाय "संप्रदाय" शब्द का प्रयोग करना उचित जान पड़ता है क्योंकि सनातन धर्म मूलतः अहिंसा को ही परम धर्म मानता है -- और जो इससे भिन्न है उसे आवश्यक रूप से विधर्म या अधर्म ही कहा जाना चाहिए।)
यह भी उल्लेखनीय है कि वैदिक, संतमत, बौद्ध, जैन और सिख संप्रदाय के मतावलंबी भी अपने अपने धर्म को "सनातन धर्म" ही मानते हैं, भले ही वे ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास करते हों, या न भी करते हों। जबकि दूसरी ओर, अब्राहमिक परंपरा को मानने वाले तीनों ही संप्रदायों में "अहिंसा" के आदर्श यहाँ तक कि "अहिंसा" शब्द की अवधारणा तक नहीं पाई जाती। क्योंकि ये तीनों परंपराएँ मूलतः राजनीतिक विचारधाराएँ (political ideologies) हैं, और सनातन धर्म से यही इनका मौलिक भेद है। सनातन धर्म व्यक्ति और समष्टि का धर्म है, न कि किसी भी समूह विशेष की कोई वैचारिक / राजनीतिक महत्वाकांक्षा। इस दृष्टि से अब्राहमिक परंपरा और सनातन धर्म की तुलना ही नहीं की जा सकती है।
संयोगवश आज 13 फरवरी 2023 को ही इन्दौर से प्रकाशित "नई दुनिया" समाचार-पत्र के सौजन्य से :
"कह के रहेंगे"
के अन्तर्गत यह देखा, जो इस संदर्भ में शायद प्रासंगिक और दिलचस्प हो :
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