March 01, 2022

गुल

कविता / 01-03-2022

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रौशनी गुल होती है, तो फैलता है अन्धेरा, 

शोर गुल होता है जब, तो टूटता है अमन ।

जब भी दोस्त मिलता है, तो ऐसा लगता है, 

जैसे गुल खिलता है, तो खिलता है चमन।

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