कविता : 16-09-2021
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क्या करोगे, पता करके,
फर्ज़ अपना, अदा करके !
जब दवा ही नहीं, है कोई,
दर्द अपना, बयाँ करके!
जब सजा ही नहीं, है कोई,
जब मजा भी नहीं, है कोई,
क्या मिलेगा, जुर्म करके,
क्या मिलेगा ख़ता करके!
***
तुम भी बस, ख़याल थे,
आकर के, जा भी चुके,
मैं भी बस, ख़याल था,
दो पल टिका रहा ज़रूर!
प्यार जब दम तोड़ बैठा,
तुम नहीं थे, कहीं भी,
मौत जब मिलने आई,
मैं भी नहीं, था कहीं!
***
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