September 30, 2021

खोज, गुरु की!

कविता : 30-09-2021

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कौन किसी का गुरु होता है, 

क्या तुम गुरु नहीं अपने? 

फिर क्यों खोज रहे हो गुरु को, 

क्यों देख रहे, गुरु के सपने!

जब तक खुद को ना समझोगे,

कैसे समझोगे गुरु है कौन, 

लेकिन जब खुद को समझोगे, 

तब तुम रह जाओगे मौन!

किन्तु तुम्हें तब होगा पता, 

तुम ही गुरु, तुम ही हो शिष्य, 

जब तुम खुद को जानोगे,

तुम वर्तमान, तुम ही भविष्य!

लेकिन तब तक तुम्हें जरूर, 

करना होगा बहुत प्रयास, 

यदि होगी तुममें उत्कण्ठा,

तो मिल जाएगा अनायास! 

तब तुम यह भी जानोगे,

गुरु नहीं होता कोई और,

आत्मा ही है परमात्मा, 

परमात्मा, गुरु का है ठौर!

गुरु न बनाओ कभी किसी को, 

गुरु न बनो तुम कभी किसी के,

खोजो गुरु को बस अपने भीतर,

शिष्य हो रहो, नित्य ही उसी के!

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