कविता : 21-09-2021
-----------------©--------------
क्या होगा अतीत से जुड़कर,
कैसे अतीत को पाओगे?
और अगर पा भी लोगे तो,
तुम अतीत हो जाओगे!
अतीत में सुरक्षा तो है,
सुख-दुःख हों, जाने-पहचाने,
कहाँ मगर रोमाञ्च वहाँ?
बस अतीत को दुहराओगे!
शायद ख़तरा भी ना हो,
चिन्ताएँ भी ना हों कोई,
वह भी है काफी जीवन में,
सुख-दुःख को भी सह लोगे!
इतना भी हो वर्तमान में,
यह वर्तमान भी अच्छा है,
जिसमें अतीत का दंश न हो,
ऐसे जीना भी अच्छा है।
क्यों लौटो फिर उस अतीत में,
जो स्मृति, या है बस कल्पना,
वर्तमान से जुड़ जाओ तो,
नित रचो नई, यह अल्पना!
***
No comments:
Post a Comment