February 15, 2022

वर्तमान

कविता / 15-02-2022

--------------©-------------

अङ्गद के पाँव की तरह,

अडिग, अटल, वर्तमान, 

किसी की भी शक्ति से, 

लेशमात्र भी हिलता नहीं, 

शायद इसीलिए समय, 

यद्यपि चलता रहता है,

सतत और लगातार,

वर्तमान, फिर भी, कभी,

जरा भी बदलता नहीं!

***



No comments:

Post a Comment