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चिन्ता,
चिमटा या चिमटी नहीं,
चिन्तित हुई कोई,
चींटी ही तो होती है,
जो अकेली नहीं,
अकसर सदल बल,
समूह होती है!
चली आती हैं,
बेहिचक, बेखटके,
चुपके-चुपके, बेधड़क!
कर देती है, -आक्रमण,
अपने शिकार पर,
और उनमें से जब,
कोई या कुछ,
पैरों-तले कुचल जाती हैं,
तो तुरंत ही उसे,
लादकर ले जाती है,
दूसरी कोई चींटी!
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