February 12, 2022

वह जो है!

कविता / 12022022

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अकसर मुझसे कहता है, 

वह जो मुझमें रहता है,

तुम हो कौन मेरे, बोलो!

तुममें मैं कौन, जो रहता है!

एक खयाल उठता है,

एक सवाल पूछता है,

एक खयाल बूझता है,

कोई जवाब ढूँढता है!

यह सवाल, वह जवाब,

उस रौशनी में चमकते हैं,

रौशनी, खामोश है जो!

खयाल जोश, पर बेहोश,

रौशनी, मगर, होश है जो!

रौशनी कुछ नहीं कहती

करती है लेकिन लाजवाब

जोश या बेहोशी ही तो, 

करते हैं, सवाल-जवाब!

तो कौन है जो कि देखता है, 

ख़यालों, जवाबों, रौशनी को,

या, रौशनी देखती है, खुद को?

ये सवाल, सवाल ही तो है!

खयाल का कमाल ही तो है!

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