November 08, 2021

Man findet immer einen weg.

रास्ता निकलता ही है! 

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वर्ष 1985-86 में मैंने जर्मन भाषा का एक कोर्स जॉइन किया था, जिसमें एक लेसन का टाइटल यही था, जो कि इस पोस्ट का है। 

अभी आधे घंटे पहले एक आश्चर्यजनक समाचार ज्ञात हुआ। श्रीलंका की सेन्ट्रल बैंक ने श्रीलंका के तमाम एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट को भारतीय मुद्रा रुपये में करने का आदेश जारी किया है। 

तत्काल ही मेरे मन में विचार आया, मुझे लगा कि इससे तो वहाँ के बड़े बड़े एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का बिज़नेस करनेवालों में हडकम्प मच गया होगा, संवाददाता ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा :

"This decision / order has shocked all the big businessmen."

निश्चित ही इसके दूरगामी परिणाम होंगे, और संभव है कि आगे चलकर, बाद में उचित समय आने पर श्रीलंका में भारतीय मुद्रा  रुपया ही वहाँ उसी तरह से प्रचलित हो जाए, जैसा कि बहुत से छोटे छोटे देश किसी विदेशी मुद्रा जैसे कि डॉलर या पड़ोसी देश की करेंसी का प्रयोग अपने देश में करते हैं, और जिसके अनेक अनुषंगी लाभ भी अवश्य होते हैं।

किन्तु निश्चित ही, यह भी सच है कि इस सबके पीछे किसका शातिर(!) दिमाग़ काम कर रहा होगा, इस बारे में अनुमान लगा पाना कोई इतना मुश्किल सवाल भी नहीं है!

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