November 06, 2021

भाव्यता और मर्यादा

Sensibility and Modesty.

------------------©------------------

Literature, as such is not only an intellectual pursuit, but has also a deep influence upon the people who go through this purposefully or just for entertainment only.

Since long, Sense (meaning) and sensibility has been a point of discussion between the writers, poets and the others, who are fond of literature.

Could we say that the literature has onus to adhere to a criteria which restricts it within the limits of sensibility and modesty?

We can see that the sensibility varies from person to person, and people to people, and a discussion in good taste may soon turn into bad taste, hence it is very important that whosoever write / create literature should take due care while doing this, so that no harm is done to the common reader.

--

साहित्य की रचना करनेवालों, तथा साहित्य का पठन-पाठन करनेवालों के लिए दीर्घकाल से यह विचारणीय विषय होना चाहिए कि साहित्य के संदर्भ में भाव्यता और मर्यादा कितने महत्वपूर्ण हैं।

क्या साहित्यकार का यह नैतिक दायित्व नहीं है कि वह अपनी रचनाशीलता को भावग्राह्यता अर्थात् भाव्यता (sensibility) और मर्यादा (modesty) की परिसीमाओं के भीतर रहने दे!

जैसा कि देखा जा सकता है, कि भावग्राह्यता व्यक्ति-व्यक्ति में भिन्न-भिन्न होती है, और कोई भी गंभीर और उत्कृष्ट स्तर की चर्चा पलक झपकते ही सतही और फूहड़ हो जाया करती है, इसलिए साहित्यकार से यह अपेक्षा करना अनुचित नहीं होगा कि अपने साहित्य की रचना करते समय इस ओर गंभीरता से पाठकों की संवेदनशीलता का पर्याप्त ध्यान रखे और अपेक्षित मर्यादाओं के भीतर अपनी रचना रहे ताकि पाठक को इससे किसी प्रकार की हानि या क्षति न हो। 

बहुत से पाठक तो इससे भी अनभिज्ञ होते हैं कि कौन सा साहित्य मनोरंजन और ज्ञान के नाम पर व्यर्थ की उत्सुकता, उत्तेजना और कौतूहल, अनावश्यक भय, आशा, संदेह, यहाँ तक कि विकृति और कुत्सा (perversion), आदि भी उत्पन्न कर, उन्हें मोहित और भ्रमित भी कर सकता है, और इस प्रकार अनजाने ही वे प्रवंचना का शिकार हो जाया करते हैं।

इसलिए भी साहित्यकार का यह दायित्व है कि वह लोगों और आम पाठक की संवेदनशीलता तथा मानसिक परिपक्वता का ध्यान रखते हुए स्वयं ही अपनी मर्यादा को सुनिश्चित करे, और  स्मरण रखे।

***

  

No comments:

Post a Comment