November 15, 2021

जुग सहस्र योजन पर भानू

लील्यो ताहि मधुर फल जानू। 

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श्री हनुमान चालीसा में उपरोक्त वर्णन पाया जाता है ।

श्री हनुमान का जन्म रामायण में वर्णित किष्किंधा में हुआ, ऐसा मानकर चलें तो उदित होता हुआ सूर्य वहाँ से इस प्रकार दो सहस्र योजन की दूरी पर रहा होगा। यह दूरी भूमध्यरेखीय और मकररेखीय दूरियों के बीच की औसत दूरी कही जा सकती है।

रामायण के ही एक अन्य प्रसंग में यह वर्णन है कि जब भगवान राम ने राक्षस मारीची पर बाण चलाया तो उस बाण ने उसे वहाँ से एक सहस्र योजन की दूरी तक भारत के दक्षिण पूर्व की दिशा की ओर समुद्र पार तक फेंक दिया। संभवतः वही स्थान आज के समय का मॉरिशस हो सकता है। भारत से मॉरिशस के बीच की हवाई दूरी को यदि एक सहस्र योजन माना जाए, तो भारत से पूर्व में सूर्योदय की दिशा में अर्थात् भूमध्य रेखा तथा मकर रेखा के बीच कहीं वह स्थान भारत (किष्किन्धा) से दो सहस्र योजन हो सकता है।

इस प्रकार संभवतः हनुमान जी ने जब सूर्य की ओर उड़ान भरी होगी तो वे धरती की सतह के समानान्तर तल पर उड़ते हुए गतिशील रहे होंगे।

मकर रेखा पर यह दूरी सूर्य के उदय होने के और अस्त होने के बीच की दूरी है। और भारत से मॉरिशस के बीच की दूरी से यह दूरी दो गुना है। 

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